विक्रमादित्य के राज्य में एक गरीब दरिद्र ब्राह्मण और भाट रहते थे |दोनों की पुत्रियों के विवाह के लिए उन दोनों के पास धनराशि नहीं थी | विक्रमादित्य ने दोनों की पुत्रियों के विवाह के लिए धन प्रदान किया| किंतु भाट को 1000000 स्वर्ण मुद्राएं ,जबकि ब्राह्मण को कुछ सौ स्वर्ण मुद्राएँ ही प्रदान की | विक्रमादित्य ने इस प्रकार का पक्षपात क्यों किया? इसे जानने के लिए सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी पच्चीसवीं पुतली त्रिनेत्री ईश्वर से आस ,शिवानी आनंद की आवाज में..
विक्रमादित्य के द्वारा मृग के रूप में श्रापित राजकुमार को मृग रूप से मुक्ति दिला कर, पुनः राजकुमार को उसका राज्य वापस दिलाने की एक रोचक घटना है| जिसे सुनते हैं सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में से एक कहानी तीसवीं पुतली जयलक्ष्मी मृग रूप से मुक्ति, शिवानी आनंद की आवाज में..
कौओं और उल्लुओं में स्वाभाविक बैर क्यों चला रहा है ?इसके पीछे एक रोचक कथा है| पंचतंत्र की कहानियों में सुनते हैं कहानी कौवे और उल्लू के बैर की कथा शिवानी आनंद की आवाज में…
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