कहानी में मन्नो की बड़ी बहन शैलजा जो महज जब वह 17 वर्ष की थी ,मृत्यु हो जाती है| आज उस बात को बीते कई वर्ष बीत चुके हैं| किंतु मन्नो अपनी बहन की मृत्यु के दर्द की पीड़ा से अभी मुक्त नहीं हो पाई है| क्या उसके अपने भी इस दर्द को समझ पाएंगे |शैलजा की यादें मन्नो किस प्रकार अपने अंदर समेटे हुए हैं| जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ की भावुक कर देने वाली कहानी लाल डायरी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जो कब , कैसे , किसके लिए महसूस होगी , ये कह पाना कब सम्भव हुआ है? अविनाश, एक फ़ौजी अफ़सर, जिसकी पहली शादी का अनुभव बहुत ही तकलीफ़देह रहा था, उसने शादी ना करने का मन बना लिया था । सुधा, एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी, रूप- गुण युक्त एक स्वावलंबी महिला थी। और उसने भी शादी को कुछ ख़ास तवज्जो नहीं दी थी। और फिर, नीलांजना , बचपन को पीछे छोड़ती वो रूपसी तरुणी जिसके लिए दुनिया रंगो से सजी जीवंत तस्वीर जैसा था । इन तीनो किरदारो के जीवन तार एक दूसरे से कैसे उलझते है , आइए सुनते है मनीषा कुलश्रेष्ठ की भावनाओं में डूबती उतराती इस कहनी “ अधूरी तसवीरें” मे..,
प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जो कब , कैसे , किसके लिए महसूस होगी , ये कह पाना कब सम्भव हुआ है? अविनाश, एक फ़ौजी अफ़सर, जिसकी पहली शादी का अनुभव बहुत ही तकलीफ़देह रहा था, उसने शादी ना करने का मन बना लिया था । सुधा, एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी, रूप- गुण युक्त एक स्वावलंबी महिला थी। और उसने भी शादी को कुछ ख़ास तवज्जो नहीं दी थी। और फिर, नीलांजना , बचपन को पीछे छोड़ती वो रूपसी तरुणी जिसके लिए दुनिया रंगो से सजी जीवंत तस्वीर जैसा था । इन तीनो किरदारो के जीवन तार एक दूसरे से कैसे उलझते है , आइए सुनते है मनीषा कुलश्रेष्ठ की भावनाओं में डूबती उतराती इस कहनी “ अधूरी तसवीरें” मे..,
कहानी में नायिका का पति कहीं दूर चला गया है|समाज एक अकेली स्त्री को मात्र बस एक ‘देह’ समझता है और नायिका इन्हीं परिस्थितियों से गुजर रही है| यह परिस्थितियां नायिका को एक लिजलिजा एहसास का अनुभव करा रही है | जानते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखी गई कहानी “”एक लिजलिजा एहसास “,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में..
कहानी में लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा एक प्रश्न उठाया है क्या दहेज की समस्या केवल लड़के वाले खड़ी करते हैं? कहानी सुनकर इस बात की सार्थकता जानते हैं पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
पत्नि के भाग्य से जुड पति का भाग्य प्रखर होता है। मीनू तू भाग्यलक्ष्मी है मीनू जब मात्र 19 वर्ष की थी तब अपने से उम्र में काफी बड़े साइंटिस्ट विलास जी से उसका विवाह करा दिया गया था | शादी से पूर्व मीनू इस बेमेल विवाह से खुश नहीं थी | किंतु क्या हुआ विवाह के उपरांत मीनू के साथ? क्या वे उस घर की भाग्यलक्ष्मी बन पाई? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखी गई कहानी भाग्य लक्ष्मी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
मां बाप के लिए अपने बच्चे ना कोई बोझ होते हैं ना कोई अवसाद होते हैं वह अपने बच्चों को पूरे स्नेह के साथ उनका लालन-पालन करते हैं क्या कभी बच्चे भी अपने मां-बाप कीउसी प्रकार उनकी देखभाल कर पाते हैं इसी भावना से ओतप्रोत है मालती जोशी जी की लिखी कहानी वो तेरा घर यह मेरा घर ,सुनते हैं पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
कुंभ मेला केवल आस्था और परंपरा का पर्व नहीं, यह खगोलीय घटनाओं और ज्योतिषीय गणनाओं से भी गहराई से जुड़ा है। कुंभ का आयोजन तब होता है जब ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग बनता है, जो इसे अत्यधिक पवित्र बनाता है।
ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव:
जब गुरु (बृहस्पति) सिंह, कुंभ, या अन्य विशेष राशियों में प्रवेश करते हैं और सूर्य और चंद्रमा की स्थिति अनुकूल होती है, तब कुंभ मेले का समय तय होता है। यह संयोग सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और इसे आत्मा की शुद्धि के लिए उपयुक्त बनाता है।
ज्योतिष के अनुसार:
कुंभ में स्नान और ध्यान करने से व्यक्ति के जीवन में शुभता, शांति और आध्यात्मिक उन्नति आती है। यह खगोलीय शक्तियों के माध्यम से आत्मा और ब्रह्मांड के बीच के संबंध को सुदृढ़ करता है।
गाथा के साथ जानिए कुंभ और ज्योतिष के इस अद्भुत संगम की कहानियां।
बचपन कितना मासूम होता है | कहानी 6- 7 साल की छोटी बच्ची की है जिसका खुद का दिया हुआ नाम है रानी मुखर्जी |बच्ची को एक परिवार गोद लेने के लिए आता है किंतु बच्ची इस बात से पूरी तरीके से अनभिज्ञ है | क्या होता है आगे कहानी में जाने के लिए सुनते हैं संध्या त्रिपाठी जी के द्वारा लिखी गई कहानी रानी मुखर्जी की गुड़िया,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में आवाज में
इंसान अपने जीवन में भौतिक खुशियों को पाने के चक्कर में अपनी वास्तविक खुशियों से दूर होता चला जाता है| इसी भावना से ओतप्रोत है अंजना वर्मा जी के द्वारा लिखी गई कहानी हॉर्स- रेस , ,सुनते हैं विनीता श्रीवास्तव की आवाज …
असली पूँजी – Alka saini (अल्का सैनी ) – Shivani Anand
जिज्ञासा और अनीता कॉलेज के दिनों की बहुत पक्की सहेलियां हैं जिज्ञासा शुरू से पढ़ाई में तेज रही है और उसने अनीता की हमेशा पढ़ाई में मदद किया| जिज्ञासा शादी के बाद अपने पति और अपने एक बेटी के साथ अपने घर गृह गृहस्थी में बहुत खुश है किंतु जब वह आज अपनी बेटी के कॉलेज में अपनी पक्की दोस्त अनीता को प्रिंसिपल के रूप में देखकर अपने को उसके आगे हीन समझने लगी। किंतु क्या अनीता की ज़िंदगी को जानने के बाद उसे समझ में आता है कि जीवन की असली पूंजी क्या होती है? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं अलका सैनी के द्वारा लिखी गई कहानी असली पूंजी, शिवानी आनंद की आवाज़
नज्म सुभाष जी की लिखी कहानी अधूरी ख्वाहिश, बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ से उमरावजान, जिनके हुस्न और अदाओं के लाखों दीवाने थे, उनके दर्द और उनके मन में दफन हो चुकी ख्वाहिशों का सजीव चित्रण करती है । पल्लवी गर्ग की खूबसूरत आवाज़ में..
लेफ्टिनेंट सागर शिव सागर जाना चाह रहा है मूसलाधार बारिश के कारण और रास्ते में कीचड़ हो जाने के कारण उसकी गाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रही है |रैन बसेरा करने के लिए किसी जगह की तलाश कर रहा है |उसे एक इमारत दिखाई देती है किंतु इमारत का क्या रहस्य है उसके पीछे क्या कहानी है जानने के लिए सुनते हैं अज्ञेय के द्वारा लिखी गई कहानी जय-दोल, अमित तिवारी की आवाज में के द्वारा लिखी गई कहानी
आतंकवादियों का कोई धर्म होता है ना ही इंसानियत यह यह सिर्फ महज हिंदू मुसलमानों के बीच नफरत बोने और दहशतगर्दीफैलाने का काम करते हैं कहानी में हिंदुस्तानी फौज को बदनाम करने के अभिप्राय से से निर्दोषों की जान आतंकवादियों द्वारा ली जाती है यह सब कैसे होता है क्या आतंकवादियों की मंशा पूरी हो पाती है हिंदुस्तानी फौज तक क्या होता है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं डॉक्टर विकास कुमार शर्मा द्वारा लिखी गई कहानी दहशत अमित तिवारी जी की आवाज में
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