कहकशाँ [महफ़िल-ए-शायरी] एक पहल है साहित्य को आम जनमानस से जोड़ने के लिए। इसके संयोजक आनन्द कक्कड़ एक फार्मा-मैनेजमेंट कंसलटेंट हैं जिनका यह उद्देश्य है कि साहित्य, शेरों-शायरी व कविता का प्रचार प्रसार हो। आनन्द कक्कड़ हिंदी पत्रकारिता व लेखन से विगत 30 वर्षों से जुड़े हैं और अब तक करीब 200 रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। आप संगीत व ग़ज़ल के न सिर्फ रसिया हैं बल्कि आपको राष्ट्रीय स्तर के सभी ग़ज़ल गायकों, शायरों व हिंदी साहित्य की विभिन्न विभूतियों का सानिध्य प्राप्त है।
आनन्द कक्कड़ स्वयं को हिंदी साहित्यकार रवींद्र कालिया का शिष्य मानते है जिनके संरक्षण में आपने 20 वर्षों का समय बिताया। कहकशाँ ग्रुप में आनन्द कक्कड़ के साथ सृजन की सहभागिता उस्ताद अपूर्व अशेष, डॉ कंचन (coadmin), संजय खन्ना जलालपुरी व सुशील बतरा (coordinators) निभाते हैं। कहकशाँ
को प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार ममता कालिया व शायर प्रताप सोमवंशी का आशीर्वाद व मार्गदर्शन प्राप्त है। पदमश्री ग़ज़ल गायिका डॉ शोमा घोष जैसे विभिन्न साहित्य प्रेमी, लेखक, शायर व संगीतकार व्यक्तित्व कहकशाँ की शान बढ़ते हैं।
कहकशाँ को आप विभिन्न सोशल मीडिया में उपलब्ध करा कर साहित्य के मजदूर की तरह सिंचाई कर रहे हैं। fb, इंस्टाग्राम, पॉडकास्टव व व्हाट्सएप्प के पटेलों पर कहकशाँ सक्रिय है। ‘गाथा’ के साथ सहभगिता कहकशाँ की नवीनतम पहल है। गाथा कर उद्देश्यों से आनन्द कक्कड़ विगत 2 वर्षों से जुड़े हैं।
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