एक छोटे बच्चे की पूरी दुनिया उसकी मां में बसी होती है वह अपनी हर छोटी -बड़ी बात के लिए सिर्फ अपनी मां पर ही निर्भर रहता है किंतु जैसे समय के साथ वह परिपक्व होने लगता है वह मां जो दुनिया का ज्ञान उसे दे रही थी, आज अपने बच्चों से ही हर बात पूछती है ?क्या इस बदलाव में उन दोनों के बीच का स्नेह का बंधन वैसा ही रहता है? जानते हैं इस खूबसूरत अनुभव को, अंगोना साहा के साथ
कभी आपने यह अनुभव किया है कि जिंदगी में कुछ रिश्ते जो हमारे खून के नहीं होते ,फिर भी हमारे जीवन में एक विशेष स्थान रखते हैं |उन्हें भूलना असंभव होता है |ऐसे ही एक रिश्ते का अनुभव अंगोना साहा हमारे साथ बांट रही है…
सबसे खूबसूरत रिश्ता है दोस्ती का ,यही ऐसा रिश्ता है जो हमें किसी भी दायरे में नहीं बांधता ,हम जैसे हैं ,वैसे ही आप लाए जाते हैं| कैसे? जानते हैं इस खूबसूरत दोस्ती के रिश्ते के बारे में, अंगोना साहा के साथ..
एक ही मां के अंश यानी सिबलिंग्स,यह रिश्ता बहुत खास होता है वह छोटी-छोटी नोकझोंक, वह साथ-साथ हंसना ,रोना और और अपनी कुछ खास बातों को सिर्फ उनके साथ बांटना |समय की रफ्तार में अगर यह रिश्ते आप से दूर चले गए हैं ,तो फिर से उन्हें अपने नजदीक जरूर लाइए |कैसे? जानते हैं इस खूबसूरत एहसास को, अंगोना साहा के साथ..
हमारे रिश्ते हमारी सोच पर निर्भर करते हैं| जैसी सोच वैसे ही हमारा रिश्ता| सास -बहू के बीच का रिश्ता कुछ ऐसा ही है …
सबसे खूबसूरत रिश्ता है दोस्ती का ,यही ऐसा रिश्ता है जो हमें किसी भी दायरे में नहीं बांधता ,हम जैसे हैं ,वैसे ही आप लाए जाते हैं| कैसे? जानते हैं इस खूबसूरत दोस्ती के रिश्ते के बारे में, अंगोना साहा के साथ..
सर छोटू राम, (जन्म-24 नवंबर 1881 – 9 जनवरी 1945) ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के एक प्रमुख राजनेता एवं विचारक थे। उन्होने भारतीय उपमहाद्वीप के ग़रीबों के हित में काम किया। इस उपलब्धि के लिए, उन्हें 1937 में ‘नाइट’ की उपाधि दी गई।
द्रौपदी रौद्र रूप धारण कर लेती है। उसके दुर्गा-जैसे तेजोद्दीप्त भयंकर रौद्र-रूप को देख दु:शासन घबरा जाता है और उसके वस्त्र खींचने में स्वयं को असमर्थ पाता है। द्रौपदी कौरवों को पुन: चीर-हरण करने के लिए ललकारती है। सभी सभासद द्रौपदी के सत्य, तेज और सतीत्व के आगे निस्तेज हो जाते
डॉ राम मनोहर लोहिया स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर चिंतक, और एक लोकप्रिय नेता के रूप में जाने गए। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वह कई बार जेल भी गए। दिल्ली में उनकी स्मृति में राम मनोहर लोहिया अस्पताल की स्थापना की गई।
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