Amit and sheela are two children who don't want to leave their house as their father got transferred from one city to another. The story revolves around their emotional and mental strain while leaving their home, city and friends.
दादी
इस मुस्कान पे मैं वारी जाऊँ
हर एक लकीर को हौले से सहलाऊँ
कितनी ही कहानियां हैं इनमे छिपी
उनके राज़ को मैं समझ न पाऊँ
बात दो न दादी
क्या कुछ छुपा रखा है
इन आँखों में अपनी
इनकी चमक के चौंध से
मैं बरबस मचल जाऊँ...
कितना सुकून है इस मुस्कान में
कितनी चंचलता है इन आँखों में
उम्र के हर दौर की कहानी है
Batao na dadi,
Tumko kya बतानी है, kya छुपानी है...
अच्छा चलो, अब इतना मत मुस्काओ
कुछ तो बोलो, कुछ तो बताओ
अपने कुछ किस्से हमे भी सुनाओ
अपना थोड़ा तजुर्बा हम पर भी बरसाओ
न जाने कहाँ भटक गए हैं हम
बेतहाशा दौड़ते दौड़ते
थाम के हमको,
थोड़ा ठहरना सिखाओ,
हंसते मुस्कुराते
कुछ खट्टी
कुछ मीठी सीख ही दे जाओ
अरे दादी,
कुछ तो अपनी समझ भरी बातें, हमको भी समझाओ
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