छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ का गठन 1 नवंबर, 2000 को मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ से अलग कर किया गया था. मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के दकà¥à¤·à¤¿à¤£-पूरà¥à¤µ के हिसà¥à¤¸à¥‡ को अलग कर छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ राजà¥à¤¯ बनाया गया| Chhattisgarh Foundation Day: देश के 26वें राजà¥à¤¯ छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ (Chhattisgarh) का आज सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ दिवस है| छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ ने अपना 23 साल का सफर पूरा कर लिया|
1 नवंबर 1966 में हरियाणा का गणन किया गया था. तब से लेकर आज तक हरियाणा में कई बदलाव हà¥à¤ हैं. आज हरियाणा à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¤¸à¤¾ राजà¥à¤¯ बन गया है जहां के लोग कई कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ और अपने राजà¥à¤¯ का नाम रोशन कर रहे हैं
1 नवंबर को मनाया जाने वाला केरल सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ दिवस, 1956 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ में केरल राजà¥à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है। यह मलयालम à¤à¤¾à¤·à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के à¤à¤•ीकरण और जीवंत और सांसà¥à¤•ृतिक रूप से समृदà¥à¤§ राजà¥à¤¯ के जनà¥à¤® का जशà¥à¤¨ मनाता है
कनà¥à¤¨à¤¡à¤¼ राजà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ का à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• महतà¥à¤µ साल 1956, 1 नवंबर को दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के कनà¥à¤¨à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤·à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को मिलाकर करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• राजà¥à¤¯ बनाया गया। इस दिन को करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• राजà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ (Karnataka Rajyotsava 2023) के रूप में मनाया जाता है। कनà¥à¤¨à¤¡à¤¼ राजà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ का सीधा और सरल अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ “करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• का राजà¥à¤¯ महोतà¥à¤¸à¤µâ€ है।
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की शहरी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर जोर देने और नठशहरी à¤à¤œà¥‡à¤‚डा की दिशा में अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को शामिल करने के लिठ2014 में यूà¤à¤¨-हैबिटेट दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अरà¥à¤¬à¤¨ अकà¥à¤Ÿà¥‚बर की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की गई थी।
31 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 2019 — जमà¥à¤®à¥‚ और कशà¥à¤®à¥€à¤° पà¥à¤¨à¤°à¥à¤—ठन अधिनियम, 2019 लागू हà¥à¤†à¥¤ दोनो केंदà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ के उप-राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ को जमà¥à¤®à¥‚-कशà¥à¤®à¥€à¤° उचà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के मà¥à¤–à¥à¤¯ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पद की शपथ दिलवाई गई
सरदार पटेल का जनà¥à¤® 31 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1875 को गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के नाडियाड में हà¥à¤†à¥¤ पिता का नाम à¤à¤¾à¤µà¥‡à¤° à¤à¤¾à¤ˆ और माता का नाम लाडबा पटेल था। माता-पिता की चौथी संतान वलà¥à¤²à¤ à¤à¤¾à¤ˆ कà¥à¤¶à¤¾à¤—à¥à¤° बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के थे। उनकी रà¥à¤šà¤¿ à¤à¥€ पढ़ाई में ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ रही।आज à¤à¤•ता के सूतà¥à¤° में बंधे à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिठदेश सरदार पटेल का ही ऋणी है। कहा जाता है कि à¤à¤• बार उनसे किसी अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ ने इस बारे में पूछा तो सरदार पटेल ने कहा- मेरा à¤à¤¾à¤°à¤¤ बिखरने के लिठनहीं बना।सरदार पटेल’,’लोह पà¥à¤°à¥à¤·’ और ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ का बिसà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤•’ की उपाधियों से इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया 1991 में ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ रतà¥à¤¨’ से à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया इनका जनà¥à¤® दिवस ‘राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤•ता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है
होमी जहांगीर à¤à¤¾à¤à¤¾, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परमाणॠवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• और à¤à¤•ीकृत परमाणॠऊरà¥à¤œà¤¾ विकास के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आदिकारी, 30 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1909 को मà¥à¤‚बई, à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जनà¥à¤®à¥‡ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जीवन के दौरान à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परमाणॠऊरà¥à¤œà¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान दिया और à¤à¤¾à¤°à¤¤ के परमाणॠऊरà¥à¤œà¤¾ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की ऊरà¥à¤œà¤¾ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆà¥¤à¤¹à¥‹à¤®à¥€ à¤à¤¾à¤à¤¾ को à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सिविल विà¤à¥‚षण और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ रतà¥à¤¨ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया था। उनका योगदान à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ था और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ को परमाणॠऊरà¥à¤œà¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सà¥à¤µà¤¾à¤¯à¤¤à¥à¤¤à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने में मदद की।
महरà¥à¤·à¤¿ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• और आरà¥à¤¯ समाज के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤•, 30 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1883 को अजमेर, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अपने आशà¥à¤°à¤¯à¤¸à¥à¤¥à¤² में निधन हà¥à¤† था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आरà¥à¤¯ समाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की और अपने जीवन के दौरान à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज के सà¥à¤§à¤¾à¤° और सामाजिक परिवरà¥à¤¤à¤¨ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§ रहे।सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की दिशा में अरà¥à¤¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¿, सामाजिक नà¥à¤¯à¤¾à¤¯, और शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान किया गया और उनका योगदान à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® के पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ रहा।
हर साल 29 अकà¥à¤¤à¥‚बर को विशà¥à¤µ सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ साल 2004 में हà¥à¤ˆ, जब कनाडा में वरà¥à¤²à¥à¤¡ सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने इस दिन को मनाया। दो साल बाद वरà¥à¤· 2006 में इस दिन को जन जागरूकता के लिठघोषित किया गया। 2006 में, वरà¥à¤²à¥à¤¡ सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• फेडरेशन और इंटरनेशनल सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• सोसाइटी के विलय के साथ वरà¥à¤²à¥à¤¡ सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• संगठन सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ तब से, विशà¥à¤µ सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• संगठन (डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚à¤à¤¸à¤“) विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ पर विशà¥à¤µ सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤• दिवस (डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚à¤à¤¸à¤¡à¥€) मनाता आ रहा है।
जामिया मिलिया इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤¯à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ 29 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1920 को मोहमà¥à¤®à¤¦ अली जौहर, हकीम अजमल खान, मà¥à¤–à¥à¤¤à¤¾à¤° अहमद अंसारी, अबà¥à¤¦à¥à¤² मजीद खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¾ और जाकिर हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨ ने महमूद हसन देवबंदी की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ में अलीगढ़ में की थी
विशà¥à¤µ वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• चिकितà¥à¤¸à¤¾ दिवस हर वरà¥à¤· 27 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को मनाया जाता है। इसे पहली बार 27 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2010 को मनाया गया था। द वरà¥à¤²à¥à¤¡ फेडरेशन ऑफ ऑकà¥à¤¯à¥‚पेशनल थेरेपिसà¥à¤Ÿ (WFOT) वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• चिकितà¥à¤¸à¤¾ पेशे का अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करता है, जिसमें बैशà¥à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° पर 101 राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• चिकितà¥à¤¸à¤¾ पेशेवर संगठन शामिल हैं।
यतीनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ दास का जनà¥à¤® 27 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1904 को कोलकता में हà¥à¤† था। जब वे नौ वरà¥à¤· के थे तà¤à¥€ उनकी माठका देहानà¥à¤¤ हो गया था। उनके पिता ने उनका पालन पोषण किया। पढ़ाई के दौरान ही जब गांधी जी ने असहयोग आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ आरमà¥à¤ किया तो यतीनà¥à¤¦à¥à¤° à¤à¥€ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में कूद पड़े थे।
विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ रचनाकार थे, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आजादी आंदोलन के दौर में दंगाई à¤à¥€à¥œ के बीच à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ कायम करने के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जान दे दी. आजादी के इस दीवाने और सांपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• सौहारà¥à¤¦ के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ गणेश शंकर ‘विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€’ का जनà¥à¤® 26 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1890 को इलाहाबाद के अतरसà¥à¤‡à¤¯à¤¾ मौहलà¥à¤²à¥‡ में हà¥à¤† था |
जमà¥à¤®à¥‚-कशà¥à¤®à¥€à¤° रियासत को पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से बचाने के लिठमहारजा हरि सिंह ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ से मदद मांगी थी. तब की नेहरू सरकार ने महाराजा के साथ विलय करने की शरà¥à¤¤ रखी थी. 26 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1947 को विलय होते ही à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना ने पाक कबायलियों को खदेड़ दिया था. 26 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1947 के दिन ही जमà¥à¤®à¥‚-कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संघ का हिसà¥à¤¸à¤¾ बना था |
पिकासो ने 1907 से कà¥à¤¯à¥‚बिज़à¥à¤® की शैली में काम किया। इस पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ को जà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥€à¤¯ आकृतियों के उपयोग से अलग किया जाता है जो वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को आदिम आकृतियों में तोड़ते हैं|मानव वेदना का जीवित दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ कहीं जाने वाली इन कलाकृतियों को बनाने के लिठपिकासो ने अपना सब कà¥à¤› कल को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया|
विशà¥à¤µ पोलियो दिवस मनाने की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ रोटरी इंटरनेशनल ने की है। इसकी शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ पोलियो टीका की खोज करने वाली टीम के सदसà¥à¤¯ जोनास सालà¥à¤• के जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ पर की गई है। पोलियो वैकà¥à¤¸à¥€à¤¨ की खोज साल 1955 में की गई थी। वहीं, पोलियो संकà¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के सबसे अधिक मामले साल 1980 में देखे गठथे
आज ही के दिन 24 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1946 को वà¥à¤¹à¤¾à¤‡à¤Ÿ सैंडà¥à¤¸ मिसाइल रेंज (White Sands Missile Range) से सैनिकों और वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•ों ने à¤à¤• वी-2 मिसाइल (V-2 missile) लॉनà¥à¤š की, जिसमें 35-मिलीमीटर मोशन पिकà¥à¤šà¤° कैमरा था. इसके जरिठअंतरिकà¥à¤· से पृथà¥à¤µà¥€ की पहली तसà¥à¤µà¥€à¤° ली गई. इन तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ को बाहरी अंतरिकà¥à¤· (Outer Space) की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ से ठीक ऊपर 65 मील की ऊंचाई पर लिया गया था. इन तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ को जिस कैमरे में लिया गया था, वो लैंडिंग के दौरान कà¥à¤°à¥ˆà¤¶ से इसलिठबच गया, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसे सà¥à¤Ÿà¥€à¤² कैसेट में बंद किया गया था. ये पहली बार नहीं था, जब पृथà¥à¤µà¥€ की करà¥à¤µ को तसà¥à¤µà¥€à¤° में देखा गया था.
संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° दिवस 24 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को 1945 में संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° चारà¥à¤Ÿà¤° के माधà¥à¤¯à¤® से संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के आधिकारिक निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की वरà¥à¤·à¤—ांठके उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में मनाया जाता है
खंडू à¤à¤¾à¤ˆ देसाई का जनà¥à¤® 23 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1898 ई. को गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के वलसाड ज़िले में हà¥à¤† था। वलसाड में आरंà¤à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ के बाद वे मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ के विलसन कॉलेज में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ हà¥à¤à¥¤ परंतॠ1920 में महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ के असहयोग आंदोलन में कॉलेज का बहिषà¥à¤•ार करके बाहर आ गà¤à¥¤
23 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ हिम तेंदà¥à¤† दिवस के रूप में मनाया जाता है। 23 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2013 को, किरà¥à¤—िसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के बिशà¥à¤•ेक में हिम तेंदà¥à¤ के संरकà¥à¤·à¤£ के लिठà¤à¤• घोषणा को अपनाया गया था। सà¤à¥€ 12 हिम तेंदà¥à¤“ं की रेंज के देशों ने इस संकलà¥à¤ª को अपनाया।
खंडू à¤à¤¾à¤ˆ देसाई का जनà¥à¤® 23 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1898 ई. को गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के वलसाड ज़िले में हà¥à¤† था। वलसाड में आरंà¤à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ के बाद वे मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ के विलसन कॉलेज में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ हà¥à¤à¥¤ परंतॠ1920 में महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ के असहयोग आंदोलन में कॉलेज का बहिषà¥à¤•ार करके बाहर आ गà¤à¥¤
सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय चौधरी रणबीर सिंह हà¥à¤¡à¥à¤¡à¤¾ सामाजिक समानता के पà¥à¤°à¤¬à¤² पकà¥à¤·à¤§à¤° थे, उनके पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के चलते इस बांध का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ संà¤à¤µ हà¥à¤†à¥¤ 22 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1963 को देश के पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस बांध को राषà¥à¤Ÿà¥à¤° को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया।
चंदà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¨-1, चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ का पहला मिशन, 22 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 2008 को सतीश धवन अंतरिकà¥à¤· केंदà¥à¤°, शार, शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿à¤•ोटा से सफलतापूरà¥à¤µà¤• पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤šà¤¿à¤¤ किया गया था। अंतरिकà¥à¤· यान ने चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ की सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ के चारों ओर परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ की और चंदà¥à¤°à¤®à¤¾ के रासायनिक, खनिज और फोटो-à¤à¥Œà¤—ोलिक मानचितà¥à¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किà¤à¥¤
इस यà¥à¤¦à¥à¤§ को पà¥à¤°à¤¥à¤® कशà¥à¤®à¥€à¤° यà¥à¤¦à¥à¤§ कहा जाता है। इसकी शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1947 में हà¥à¤ˆ और इसका परिणाम जमà¥à¤®à¥‚-कशà¥à¤®à¥€à¤° का à¤à¤¾à¤°à¤¤ में विलय था। पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को डर था कि महाराजा हरि सिंह à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शामिल हो जाà¤à¤‚गे
नोबेल के जीवन की सबसे बड़ी उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• डायनामाइट का आविषà¥â€à¤•ार है.| नाइटà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤²à¤¿à¤¸à¤°à¥€à¤¨ नामक à¤à¤• रासायनिक पदारà¥à¤¥ में असीमित विसà¥â€à¤«à¥‹à¤Ÿà¤• शकà¥à¤¤à¤¿ होती है. |नोबेल ने नाइटà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤²à¤¿à¤¸à¤°à¥€à¤¨ की इस ताकत को पहचाना और उससे à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ खोज की,†जिसने मानव इतिहास की दिशा बदल दी|अलà¥â€à¤«à¥à¤°à¥‡à¤¡ नोबेल शाही सà¥à¤µà¥€à¤¡à¤¿à¤¶ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• अकादमी के सदसà¥à¤¯ à¤à¥€ थे| यही अकादमी अब नोबेल पà¥à¤°à¤¸à¥â€à¤•ारों के लिठदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° से योगà¥â€à¤¯ उमà¥â€à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का चयन करती है|
21 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1943 को आजाद हिंद सरकार की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆ. आज़ाद हिंद फौज के सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š सेनापति की हैसियत से सà¥à¤à¤¾à¤· चनà¥à¤¦à¥à¤° बोस ने सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ की असà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ सरकार बनाई.
चीनी सेना ने 20 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1962 को लदà¥à¤¦à¤¾à¤– में और मैकमोहन रेखा के पार à¤à¤• साथ हमले शà¥à¤°à¥‚ किये। चीनी सेना दोनों मोरà¥à¤šà¥‡ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ बलों पर उनà¥à¤¨à¤¤ साबित हà¥à¤ˆ और पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में चà¥à¤¶à¥‚ल में रेजांग-ला à¤à¤µà¤‚ पूरà¥à¤µ में तवांग पर अवैध कबà¥à¤œà¤¼à¤¾ कर लिया।
साल 1996 में 20 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को पहली बार विशà¥à¤µ ऑसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤ªà¥‹à¤°à¥‹à¤¸à¤¿à¤¸ दिवस (World Osteoporosis Day) मनाया गया था। जिसकी शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ यूनाइटेड किंगडम के नेशनल ऑसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤ªà¥‹à¤°à¥‹à¤¸à¤¿à¤¸ सोसाइटी ने यूरोपीय आयोग के साथ मिलकर à¤à¤• अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ के साथ की थी।
लीला सेठका जनà¥à¤® लखनऊ, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में 20 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1930 को हà¥à¤†à¥¤ लीला सेठबचपन में ही पिता की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद विधवा मां के सहारे पली-बड़ीं और मà¥à¤¶à¥à¤•िलों का सामना करते हà¥à¤ उचà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के मà¥à¤–à¥à¤¯ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ जैसे पद तक पहà¥à¤‚चने का सफर पूरा किया
यह दिन पहली बार 20 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2010 को मनाया गया था और तब से हर 5 साल में मनाया जाता है|विशà¥à¤µ सांखà¥à¤¯à¤¿à¤•ी दिवस की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° (UN) दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई थी।2020 में तीसरा विशà¥à¤µ सांखà¥à¤¯à¤¿à¤•ी दिवस मनाया जाà¤à¤—ा| इस बार की थीम- कनेकà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग द वरà¥à¤²à¥à¤¡ विद डाटा वी कैन टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ रखी गई है’|
पांडà¥à¤°à¤‚ग शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ à¤à¤• दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤•, आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• नेता, समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• के रूप में जाने वाले à¤à¤• जाना- माना नाम है। उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ आंदोलन और सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ परिवार की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई ।शà¥à¤°à¥€ à¤à¤—वतगीता पर आधारित आतà¥à¤®à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ आंदोलन उनमें से à¤à¤• है। उनके जनà¥à¤® दिवस को ‘मनà¥à¤·à¥à¤¯ गौरव दिन’ के रूप में मनाया जाता है 1999 में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पदà¥à¤® विà¤à¥‚षण से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया।
27 वरà¥à¤· की आयॠमें ही चंदà¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र की खगोल à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•ीविद के रूप में अचà¥à¤›à¥€ धाक जम चà¥à¤•ी थी। उनकी खोजों से नà¥à¤¯à¥‚टà¥à¤°à¥‰à¤¨ तारे और बà¥à¤²à¥ˆà¤• होल के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की धारणा कायम हà¥à¤ˆ जिसे समकालीन खगोल विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की रीढ़ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ माना जाता है।
खगोल à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•ी के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में डॉ॰ चंदà¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र, चंदà¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र सीमा यानी चंदà¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र लिमिट के लिठबहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हैं। चंदà¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र ने पूरà¥à¤£à¤¤ गणितीय गणनाओं और समीकरणों के आधार पर `चंदà¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र सीमा’ का विवेचन किया था और सà¤à¥€ खगोल वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•ों ने पाया कि सà¤à¥€ शà¥à¤µà¥‡à¤¤ वामन तारों का दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ चंदà¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ सीमा में ही सीमित रहता है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ की महान कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी में से à¤à¤• मातंगिनी हाजरा को ‘बूढ़ी गांधी’ के नाम से के नाम से जाना जाता है।’कर बंदी’ आंदोलन को दबाने के लिठबंगाल में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जोरदार पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किया। हजारों लोगों के साथ सरकारी डाक बंगले पर पहà¥à¤‚चकर इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना जोरदार विरोध पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किया। 72 वरà¥à¤· की आयॠमें इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने गोलियों से छलनी कर दिया किनà¥à¤¤à¥ मरते दम तक तिरंगे को इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गिरने नहीं दिया। आखिरी समय में à¤à¥€ उनके मà¥à¤‚ह से वंदे मातरम ही निकलता रहा।
दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को रोशनी दिखाने वाले थॉमस à¤à¤²à¥à¤µà¤¾ à¤à¤¡à¤¿à¤¸à¤¨ ने आज ही के दिन, 18 अकà¥â€à¤Ÿà¥‚बर 1931 को अपनी आखिरी सांस ली थी. à¤à¤• अमेरिकी वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• और बिजनेसमैन थे. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बिजली के उपकरण, संचार, साउंस रिकॉरà¥à¤¡à¤¿à¤‚ग और वीडियोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ जैसे कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में कई डिवाइस इजाद किà¤
बीबीसी की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ बà¥à¤°à¥‰à¤¡à¤•ासà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग कंपनी लिमिटेड के रूप में 18 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1922 को à¤à¤• निजी कंपनी के तौर जॉन रीथ ने की थी. 1926 में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ में आम हड़ताल के दौरान पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ का बेखौफ अंदाज जनता को पसंद आया और ये बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ की जनता का विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ जीतने में कामयाब हà¥à¤†
17 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ गरीबी उनà¥à¤®à¥‚लन दिवस के रूप में घोषित किया। इस दिवस का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ सà¤à¥€ देशों को गरीबी और निराशà¥à¤°à¤¯à¤¤à¤¾ के उनà¥à¤®à¥‚लन के लिठराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संदरà¥à¤ में उपयà¥à¤•à¥à¤¤, ठोस कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤ˆ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करना है।
संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने 16 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1945 को विशà¥à¤µ खादà¥à¤¯ दिवस मनाने की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की. संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° ने 16 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1945 को रोम में “खादà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ कृषि संगठन” की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की. उसके बाद “कॉनà¥à¤«à¥à¤°à¥‡à¤‚स ऑफ द फ़ूड à¤à¤‚ड à¤à¤—à¥à¤°à¥€à¤•लà¥à¤šà¤° आरà¥à¤—ेनाईजेशन” ने साल 1979 से विशà¥à¤µ खादà¥à¤¯ दिवस मनाने की घोषणा की
à¤à¤¾à¤°à¤¤ संघ में तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ राजà¥à¤¯ विलय होने से पूरà¥à¤µ à¤à¤• रियासत थी। तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ के अंतिम महाराज बीर विकà¥à¤°à¤® सिंह की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद पतà¥à¤¨à¥€ महारानी कंचन पà¥à¤°à¤à¤¾ ने इसकी बागडोर संà¤à¤¾à¤²à¥€ ।1972 में पूरà¥à¤£ इसे राजà¥à¤¯ का इसको दरà¥à¤œà¤¾ मिला ।
देश के पहले गैर राजनीतिजà¥à¤ž राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ à¤.पी.जे अबà¥à¤¦à¥à¤² कलाम, जिनको उनके विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और तकनीकी के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ योगदान के लिठहमेशा याद किया जाता रहेगा। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले अबà¥à¤¦à¥à¤² कलाम जी ने मिसाइल पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ को उड़ान दी। ‘पदà¥à¤® à¤à¥‚षण’ और ‘पदà¥à¤® विà¤à¥‚षण’ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ होने वाले वह à¤à¤• पहले à¤à¤¸à¥‡ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ बने जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ बनने से पूरà¥à¤µ ही ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ रतà¥à¤¨’ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया गया।
अपना पूरा जीवन à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने वाले लाला हर दयाल माथà¥à¤° à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी थे ।उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी ‘ग़दर पाटी’ का गठन किया। देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के साथ साहितà¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उनका अहम योगदान रहा। बौदà¥à¤§ संसà¥à¤•ृति साहितà¥à¤¯ पर उनको ‘डॉकà¥à¤Ÿà¤°à¥‡à¤Ÿ’ की उपाधि से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ à¤à¥€ किया गया।
1971 के à¤à¤¾à¤°à¤¤-पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ यà¥à¤¦à¥à¤§ में महज़ 21 वरà¥à¤· की आयॠमें वीर योदà¥à¤§à¤¾ सेकंड लेफà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨à¥‡à¤‚ट अरà¥à¤£ खेतà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤² नेअपनी मातृà¤à¥‚मि के लिठशहीद हो गठ।दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ के 10 टैंकà¥à¤¸ में 5 टैंकà¥à¤¸ अकेले उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नषà¥à¤Ÿ किया ।उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ‘बसंतर के यà¥à¤¦à¥à¤§’ का यà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾ के नाम से à¤à¥€ जाना जाता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार ने सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š सैनà¥à¤¯ अलंकरण परमवीर चकà¥à¤° से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकानंद को अपना आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ मानने वाली मारà¥à¤—रेट à¤à¤²à¤¿à¤œà¤¾à¤¬à¥‡à¤¥ नोबेल ‘à¤à¤—िनी निवेदिता’ के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤ˆà¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश को अपनी करà¥à¤®à¤à¥‚मि बनाया। विवेकानंद ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ‘सिसà¥à¤Ÿà¤° निवेदिता’ का नाम दिया ।सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकानंद के विचारों के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना पूरा जीवन समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• करिशà¥à¤®à¤¾à¤ˆ नेताओं में से à¤à¤¾à¤°à¤¤ रतà¥à¤¨ विजेता अटल बिहारी वाजपेई को 1994 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सांसद चà¥à¤¨à¤¾ गया 1996 और 1998 में वे दो बार पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बने 1977 में UN में अपना पहला हिंदी में à¤à¤¾à¤·à¤£ दिया UN जैसे अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मंच पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ और हिंदी à¤à¤¾à¤·à¤¾ का उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मान बढ़ाया।
डॉ राम मनोहर लोहिया सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानी, पà¥à¤°à¤–र चिंतक, और à¤à¤• लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ नेता के रूप में जाने गà¤à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ आंदोलन में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆà¥¤ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ आंदोलन के दौरान वह कई बार जेल à¤à¥€ गà¤à¥¤ दिलà¥à¤²à¥€ में उनकी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में राम मनोहर लोहिया असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई।
ऑपरेशन पवन: शà¥à¤°à¥€à¤²à¤‚का की धरती पर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना का खतरनाक मिशन|इस मिशन के बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना ने लिटà¥à¤Ÿà¥‡ को काफी हद तक कमज़ोर कर दिया था. 1987 था जब à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ शांति सेना ने शà¥à¤°à¥€à¤²à¤‚का में जाफना को लिटà¥à¤Ÿà¥‡ के कबà¥à¤œà¥‡ से मà¥à¤•à¥à¤¤ कराने के लिठऑपरेशन पवन शà¥à¤°à¥‚ किया था।
अरà¥à¤¥à¤°à¤¾à¤‡à¤Ÿà¤¿à¤¸ à¤à¤‚ड रूमेटिज़à¥à¤® इंटरनेशनल (ARI )ने ‘विशà¥à¤µ गठिया दिवस’ की पहल की। जिसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ गठिया रोग के बारे में लोगों को जागरूकता पैदा करना है। गठिया किसी à¤à¥€ आयॠवरà¥à¤— के लोग को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ कर सकता है। गठिया के मà¥à¤–à¥à¤¯ लकà¥à¤·à¤£ जोड़ों के आसपास लालिमा ,दरà¥à¤¦ और सूजन है।
चंडिका दास अमृत राव देशमà¥à¤–’ à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ समाजसेवी थे। लेकिन जन- समाज में वह ‘नानाजी देशमà¥à¤–’ के नाम से काफ़ी लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ रहे। 1999 में उनको ‘पदà¥à¤® विà¤à¥‚षण’ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया ।2019 में मरणोपरांत ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ रतà¥à¤¨ ‘से à¤à¥€ वह नवाज़ा गया।
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानी और लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ राजनेता जयपà¥à¤°à¤•ाश नारायण ने 1942 के ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ छोड़ो आंदोलन’ के दौरान अपनी सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆà¥¤ वह ‘संपूरà¥à¤£ कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति’ नामक आंदोलन के महानायक रहे। उनकी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में नाम पर दिलà¥à¤²à¥€ में ‘लोकनायक जयपà¥à¤°à¤•ाश असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤²’ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई। 1965 में समाज सेवा के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ‘रमन मैगà¥à¤¸à¥‡à¤¸à¥‡’ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया ।1999 में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मरणोपरांत ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ रतà¥à¤¨ ‘से à¤à¥€ नवाज़ा गया।
10 अकà¥à¤¤à¥‚बर के दिन वरà¥à¤· 1970 में 96 वरà¥à¤· के बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ औपनिवेशिक शासन के बाद फिजी को आधिकारिक रूप से सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की गई थी। फिजी दकà¥à¤·à¤¿à¤£ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त महासागर में à¤à¤• देश और दà¥à¤µà¥€à¤ª समूह है। यह नà¥à¤¯à¥‚ज़ीलैंड के आकलैंड से करीब 2000 किमी |
विशà¥à¤µ मानसिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ दिवस’ मनाने का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ मानसिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ शिकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जागरूकता फैलाना है। पहली बार विशà¥à¤µ मानसिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ संघ ने इसके लिठपहल की ।150 से à¤à¥€ अधिक देश इसके सदसà¥à¤¯ हैं। इस बार की थीम ‘राइट टू मेंटल हेलà¥à¤¥’ यानी मानसिक सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ का अधिकार रकà¥à¤–ा गया है।
गोपबंधॠदास का जनà¥à¤® 9 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1877 को उड़ीसा के पà¥à¤°à¥€ ज़िले में साकà¥à¤·à¥€ गोपाल के निकट सà¥à¤†à¤‚डो नामक गाà¤à¤µ में हà¥à¤† था। इनके पिता का नाम दैतारि दास तथा माता का नाम सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¤¾à¤¯à¥€ देवी था। इनका समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ à¤à¤• ग़रीब बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ परिवार से था। गोपबंधॠदास ने पà¥à¤°à¥€, कटक तथा कलकतà¥à¤¤à¤¾ (वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ कोलकाता) में शिकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ की थी
1874 में गठित हà¥à¤ˆ ‘यूनिवरà¥à¤¸à¤² पोसà¥à¤Ÿà¤² यूनियन’ की याद में जापान के टोकà¥à¤¯à¥‹ में 09 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1969 को आयोजित विशà¥à¤µ डाक संघ के समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में इसी दिन ‘विशà¥à¤µ डाक दिवस’ मनाठजाने की घोषणा की गई और तà¤à¥€ से पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· 09 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को ही अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ डाक सेवा दिवस मनाया जा रहा है।
9 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1949 आधà¥à¤¨à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤• सेना का गठन किया गया। पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤• सेना अधिनियम 1948 में पारित होने के बाद इसका गठन किया गया। पहले गवरà¥à¤¨à¤° जनरल सी. राजगोपालाचारी ने इसका उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ किया ।1962 ,1965 और 1971 के सैनà¥à¤¯ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में इसकी सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ रूप से इसे शामिल किया गया। रकà¥à¤·à¤¾ से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ कई ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ में पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤• सेवा का अहम à¤à¥‚मिका रही है ।आतंक विरोधी अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ में सेना की मदद ली जाती रही है। कपिल देव और महेंदà¥à¤° सिंह धोनी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤• सेना का हिसà¥à¤¸à¤¾ हैं।
1871 की शिकागो फायर, जिसे गà¥à¤°à¥‡à¤Ÿ शिकागो फायर à¤à¥€ कहा जाता है, 8 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर से 10 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1871 तक जल गई और हजारों इमारतों को नषà¥à¤Ÿ कर दिया, à¤à¤• अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ 300 लोगों की मौत हो गई और नà¥à¤•सान में अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ 200 मिलियन डॉलर का नà¥à¤•सान हà¥à¤†
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वायॠसेना की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ 8 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1932 को हà¥à¤ˆ थी और पहली उड़ान 1 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 1933 को à¤à¤°à¥€ थी। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वायॠसेना को आजादी से पहले ‘रॉयल इंडियन à¤à¤¯à¤° फोरà¥à¤¸’ के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद 1950 में इसके नाम से रॉयल शबà¥à¤¦ हटा दिया गया था। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वायॠसेना ने 1933 में पहली बार उड़ान à¤à¤°à¥€ थी।
कहानी में चौबे जी ने पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की चाहत में अपनी पतà¥à¤¨à¥€ मंगला की सौतेली मां की बेटी बिनà¥à¤¨à¥€ को अपने घर में संरकà¥à¤·à¤£ दिया और उसे पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के समान सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ à¤à¥€ किया। कहानी में सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ कर देने मोड तब आता है जब चौबे जी की पतà¥à¤¨à¥€ मंगला की मृतà¥à¤¯à¥ हो जाती है चौबे जी अधेड़ उमà¥à¤° के हो चà¥à¤•े हैं और बिनà¥à¤¨à¥€ à¤à¤• यà¥à¤µà¤¤à¥€ बन चà¥à¤•ी है। पूरे जीवन जिसे चौबे जी ने पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ समान सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ दिया आज उनका चितà¥à¤¤ बिनà¥à¤¨à¥€ को लेकर à¤à¥à¤°à¤®à¤¿à¤¤ है और वह पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ मान चà¥à¤•े बिनà¥à¤¨à¥€ को अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•ार करने जा रहे हैं।किंतॠकà¥à¤¯à¤¾ यह मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ के अनà¥à¤•ूल है? कहानी कई दिलचसà¥à¤ª मोड़ से गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¤à¥€ हà¥à¤ˆ बेहद रोचक है ।मà¥à¤‚शी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द जी की कहानी à¤à¥‚त आज ही सà¥à¤¨à¤¿à¤ सिरà¥à¤«à¤¼Â गाथा पर..
माधव और उसके पिता घीसू दोनों के दोनों बेहद आलसी, निकमà¥à¤®à¥‡ और कामचोर पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ फटे -चीथडे में रहना मंजूर है किंतॠवे दोनों मेहनत कर पैसा कमाना नहीं चाहते। कहानी में बेहद संवेदनहीन दृशà¥à¤¯ तब आता है जब घीसू और माधव लालच और à¤à¥‚ख मिटाने के लिठमाधव की बीवी बà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾ का इलाज तक नहीं करवाते और वह पà¥à¤°à¤¸à¤µ पीड़ा से कराह कर मर जाती है। कहानी मे दोनों का अमानवीय रूप तब और à¤à¤²à¤•ता है जब दोनों बà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾ के अंतिम संसà¥à¤•ार और कफ़न के लिठजो लोगों से पैसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं उनका à¤à¥€ उपà¤à¥‹à¤— वह अपने खाने-पीने में उड़ा देते हैं ।à¤à¤• इंसान के मन की दà¥à¤°à¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾ के चलते किस पà¥à¤°à¤•ार मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपनी मानवता को छोड़ देता है इस बेहद संवेदनशील à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को à¤à¤•à¤à¥‹à¤° देने वाली पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की कहानी कफ़न, जरूर सà¥à¤¨à¤¿à¤Â सिरà¥à¤«à¤¼Â गाथा पर
7 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1944 को संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° संघ के पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ ढांचे को पà¥à¤°à¤•ाशित किया गया। इनमें पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ पर आगे चलकर यालà¥à¤Ÿà¤¾ समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ (फरवरी 1945) में विचार-विमरà¥à¤¶ किया गया, जहां सोवियत संघ, अमेरिका à¤à¤µà¤‚ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥‹à¤‚ की बैठक हà¥à¤ˆ थी।
अमेरिका ने ऑपरेशन इंडà¥à¤¯à¥‹à¤°à¤¿à¤‚ग फà¥à¤°à¥€à¤¡à¤® के तहत 7 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में हवाई हमला शà¥à¤°à¥‚ किया. नवंबर-दिसंबर में 1300 अमेरिकी सैनिक अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ पहà¥à¤‚चे
इसका मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ नई दिलà¥à¤²à¥€ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। आरà¤à¤à¤« का पूरà¥à¤£ रूप रैपिड à¤à¤•à¥à¤¶à¤¨ फोरà¥à¤¸ है। यह केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ रिजरà¥à¤µ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ बल (सीआरà¤à¤à¤«) की à¤à¤• विशेष शाखा है और यह दंगों, दंगा जैसी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, à¤à¥€à¤¡à¤¼ नियंतà¥à¤°à¤£, बचाव और राहत कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और संबंधित अशांति से निपटने के लिठ7 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1992 को पूरी तरह से चालू हो गया।
6 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1893 में बंगाल पà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚सी में मेघनाथ साहा का जनà¥à¤® हà¥à¤† ।साहा सà¥à¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ खगोल वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• रहे। गणित और à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•ी के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उनके महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान रहे ।साहा इकà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ के लिठयह पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हैं। जिसके जरिठतारों में à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ रासायनिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की जा सकती है ।साहा नाà¤à¤¿à¤•ीय à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•ी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में इनका महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ योगदान रहा।
6 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1860 बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ काल में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दंड संहिता( IPC) पारित हà¥à¤† ।उस समय इसकी रचना लॉरà¥à¤¡ मैकाले की अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ में गठित पà¥à¤°à¤¥à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ विधि आयोग दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई ।यह कानून अपराधों को बताता है तथा अपराधों की सज़ा और ज़à¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¥€ तय करता है। IPC में कई बार संशोधन हà¥à¤†. जिसमें कई बार अपराध जोड़े à¤à¥€ गठतो कई बार अपराध हटाठà¤à¥€ गà¤à¥¤
सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की पहली महिला नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ फातिमा बीबी नियà¥à¤•à¥à¤¤ हà¥à¤ˆ ।जिनका पूरा नाम मीरा साहब फातिमा बीवी है। सेवानिवृत होने होने के बाद वह राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मानव अधिकार आयोग की सदसà¥à¤¯ à¤à¥€ रही। वह तमिलनाडॠकी राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² à¤à¥€ रह चà¥à¤•ी है।
शिकà¥à¤·à¤¾ के महतà¥à¤µ को बताने में शिकà¥à¤·à¤• की अहम à¤à¥‚मिका होती है ।विशà¥à¤µ में शिकà¥à¤·à¤•ों की महतà¥à¤¤à¤¾ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किठजाने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से 5 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1994 से यह दिन ‘अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ शिकà¥à¤·à¤• दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा।
पति राजा दलपत शाह की असमय मृतà¥à¤¯à¥ होने के बाद अपने पà¥à¤¤à¥à¤° वीर नारायण को सिंहासन पर बैठाकर à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ वीरांगना रानी दà¥à¤°à¥à¤—ावती ने मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के गोंडवाना कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में शासन कर उसका संरकà¥à¤·à¤£ किया ।1564 में जबलपà¥à¤° के पास हà¥à¤ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• यà¥à¤¦à¥à¤§ में रानी दà¥à¤°à¥à¤—ावती का सामना आसफ़ खां से हà¥à¤† ।इस यà¥à¤¦à¥à¤§ में रानी दà¥à¤°à¥à¤—ावती को वीरगति पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ उनके नाम पर जबलपà¥à¤° में रानी दà¥à¤°à¥à¤—ावती विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई। 1988 में रानी दà¥à¤°à¥à¤—ावती के बलिदान दिवस पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार ने डाक टिकट जारी किया।
4 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1884 में उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के बसà¥à¤¤à¥€ जिले अगोना में राम चंदà¥à¤° शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾ का जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिंदी साहितà¥à¤¯ में आलोचना और समीकà¥à¤·à¤¾ को महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिलाया। 20वीं शताबà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हिंदी साहितà¥à¤¯à¤•ारों में वह à¤à¤• हिंदी के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¥à¤¤à¤‚ठरहे।
इटली के विशà¥à¤µ संरकà¥à¤·à¤£ संगठन समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में ‘विशà¥à¤µ पशॠदिवस’ मनाने की घोषणा की गई। जरà¥à¤®à¤¨ लेखक ज़िमरà¥à¤®à¤¨ ने1925 में बरà¥à¤²à¤¿à¤¨ में पà¥à¤°à¤¥à¤® विशà¥à¤µ पशॠदिवस का आयोजन किया। उनके अथक पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के कारण 1931 में वैशà¥à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° पर विशà¥à¤µ पशॠदिवस मनाने की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की गई ।जिसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ पशॠकलà¥à¤¯à¤¾à¤£ मानकों में सà¥à¤§à¤¾à¤° करना था।
4 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1977 जब अटल बिहारी वाजपेई विदेश मंतà¥à¤°à¥€ के रूप में कारà¥à¤¯à¤à¤¾à¤° संà¤à¤¾à¤² रहे थे, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में हिंदी में à¤à¤¾à¤·à¤£ देकर हिंदी à¤à¤¾à¤·à¤¾ का परचम लहराया ।à¤à¤¾à¤·à¤£ के बाद UNGA का सà¤à¤¾à¤—ार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा ।
à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ का à¤à¤• देश इराक़ 3 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1932 को बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ से सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° हà¥à¤†à¥¤ इराक़ की राजधानी बगदाद है। इराक़ की 6 पड़ोसी देश ईरान ,कà¥à¤µà¥ˆà¤¤ जॉरà¥à¤¡à¤¨ ,सऊदी अरब ,सीरिया और तà¥à¤°à¥à¤•ी है ।आधिकारिक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤‚ अरबी और कà¥à¤°à¥à¤¦à¤¿à¤¶ है। 2006 में सदà¥à¤¦à¤¾à¤® हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨ के तानाशाही और मानवता के खिलाफ़ अपराध के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ फ़ासी की सज़ा दी गई।
3 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2010 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने पहली बार राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤®à¤‚डल खेलों की मेज़बानी की ।खेलों के इतिहास में ये à¤à¤• नई उपलबà¥à¤§à¤¿ थी। 1930 में कनाडा के हेमिलà¥à¤Ÿà¤¨ शहर में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤®à¤‚डल खेलों की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ हà¥à¤ˆ थी ।जिसे 2010 में à¤à¤µà¥à¤¯ तरीके से दिलà¥à¤²à¥€ में आगाज़ किया गया à¤à¤¾à¤°à¤¤ 101 पदक लेकर दूसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रहा। 177 पदको के साथ ऑसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रहा।
“3 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1672 को राणा अमर सिंह दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ का जनà¥à¤® हà¥à¤† ।वे मेवाड़ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के राजपूताना शासक बने ।मातृà¤à¥‚मि की समृदà¥à¤§à¤¿ के लिठराजपूतों को à¤à¤•जà¥à¤Ÿ करने में उनकी अहम à¤à¥‚मिका रही। इतिहास में उनकी वीरता ,शौरà¥à¤¯, तà¥à¤¯à¤¾à¤— ,पराकà¥à¤°à¤® अमर रहेगा
1576 में महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª की नेतृतà¥à¤µ में à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• हलà¥à¤¦à¥€à¤˜à¤¾à¤Ÿà¥€ यà¥à¤¦à¥à¤§ में बहलोल खान को उनके घोड़े सहित दो टà¥à¤•ड़ों में छिनà¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कर दिया था। “
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के दूसरे पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ लाल बहादà¥à¤° शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी का जनà¥à¤® मà¥à¤—लसराय में हà¥à¤† ।वह 1964 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बने। काशी विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€à¤ से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ‘शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€’ की उपाधि से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया। उनके पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ काल में 1965 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को कारारी शिकसà¥à¤¤ दी। उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिया गया’ जय जवान, जय किसान’ का नारा जवानों और किसानों के शà¥à¤°à¤® को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है ।उनके सादगी à¤à¤°à¥‡ जीवन और à¤à¤¾à¤°à¤¤ के लिये अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¥‡à¤® को देखते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मरणोपरांत à¤à¤¾à¤°à¤¤ रतà¥à¤¨ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया।
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ महातà¥à¤®à¤¾ गांधी का जनà¥à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास में सदा अविसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ रहेगा । गांधी जी के अहिंसक आंदोलन ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ को आज़ादी दिलाने में अपनी अà¤à¥‚तपà¥à¤° à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆà¥¤ अहिंसा के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ के रूप में पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपना गà¥à¤°à¥ माना। राजनीतिक और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• नेता के रूप में वह सदैव याद किठजाà¤à¤‚गे।उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किठगठपà¥à¤°à¤®à¥à¤– आंदोलन सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹, असहयोग आंदोलन, चंपारन , à¤à¤¾à¤°à¤¤ छोड़ो आंदोलन हैं। दांडी मारà¥à¤š à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ आंदोलन का à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पडाव रहा ।इस दिन को अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ की नागरिक होने के बावजूद à¤à¤¨à¥€ बेसेंट का à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ विशेष लगाव रहा। उनका लकà¥à¤·à¥à¤¯ हिंदू समाज में आई कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को दूर करना रहा। à¤à¤¾à¤°à¤¤ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी मातृà¤à¥‚मि और करà¥à¤®à¤à¥‚मि की तरह पूजा। मदन मोहन मालवीय के साथ मिलकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिंदू विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ में अपनी महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆà¥¤
सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानी वीर चंदà¥à¤° गढ़वाली अपने सांपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• सौहारà¥à¤¦ के लिठमशहूर रहे। जब अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने निहतà¥à¤¤à¥‡ पठानों पर गोली चलाने का आदेश दिया तो वीर चंदà¥à¤° गढ़वाली ने गोली चलाने से मना किया तो इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ फांसी की सज़ा बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ हà¥à¤•ूमत ने सà¥à¤¨à¤¾ दी। ‘पेशावर कांड के नायक’ के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ वीर चंदà¥à¤° सिंह गढ़वाली की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में वीर चंदà¥à¤° सिंह गढ़वाली परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤µà¤°à¥‹à¤œà¤—ार योजना की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की गई।
बाइबल अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤• ‘सेंट जेरोम’ की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में 30 सितंबर 2018 से अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤• दिवस के रूप में मनाया जाता है। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¤• साथ लाने तथा à¤à¤¾à¤·à¤¾ विद अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ में योगदान के साथ-साथ विशà¥à¤µ शांति में अहम à¤à¥‚मिका बनाने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° महासà¤à¤¾ ने इस दिन की घोषणा की।
30 सितंबर 1993 का दिन महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के लातूर के लिठकाला दिन था। 6.4 तीवà¥à¤°à¤¤à¤¾ से आठà¤à¥‚कंप ने लातूर को तहस-नहस कर दिया ।इस à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ में करीब 10000 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लोगों ने अपनी जान गवायी और हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग घायल हà¥à¤ कई विदेशी à¤à¤œà¥‡à¤‚सियां और पूरे विशà¥à¤µ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ को इस तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ से निपटने में अपना सहयोग दिया।
मातà¥à¤° 19 वरà¥à¤· की आयॠमें इंगà¥à¤²à¤¿à¤¶ चैनल पार करने वाली हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ की जलपरी के नाम से मशहूर आरती साहा ने à¤à¤• नया कीरà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया ।इस कीरà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया।
हृदय रोगों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से 29 सितंबर 2012 को WHF ने WHO के साथ मिलकर विशà¥à¤µ हृदय दिवस की घोषणा की।
पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ आतंकवादी संगठन जैश-à¤-मोहमà¥à¤®à¤¦ ने उरी हेड कà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤° पर हमला किया जिससे à¤à¤¾à¤°à¤¤ के 19 जवान शहीद हो गà¤à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना ने पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को सबक सिखाने के लिठपाक सीमा में जाकर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जवानों ने आतंकी ठिकानों को नेसà¥à¤¤à¤¨à¤¾à¤¬à¥‚द कर दिया। इस सरà¥à¤œà¤¿à¤•ल सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤• में आतंकियों के साथ उनकी 6 घंटे तक मà¥à¤ à¤à¥‡à¤¡ चली ।à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जवानों ने चारों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया।
अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ हà¥à¤•ूमत के खिलाफ़ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आज़ादी की मांग करते हà¥à¤ जिसने हंसते-हंसते अपनी अपनी आखिरी सांस à¤à¥€ कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨ करने में à¤à¤¸à¥€ निडरता दिखाई जो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास के पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में à¤à¤• मिसाल बन अंकित हो गई। महान कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी à¤à¤—त सिंह के यह सà¥à¤µà¤° ‘इंकलाब जिंदाबाद’ सबकी रगों में देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का संचार कर गया।
विटà¥à¤ ल à¤à¤¾à¤ˆ पटेल à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ विधान वेतà¥à¤¤à¤¾ होने के साथ ही साथ à¤à¤• महान कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी à¤à¥€ रहे। यह सरदार वलà¥à¤²à¤à¤à¤¾à¤ˆ पटेल के बड़े à¤à¤¾à¤ˆ थे। पूरà¥à¤£ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ पाने के लिठवह किसी à¤à¥€ तरह अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ से कोई à¤à¥€ समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ नहीं करना चाहते थे। इनका संपूरà¥à¤£ जीवन सिरà¥à¤«à¤¼ और सिरà¥à¤«à¤¼ देश के लिठही समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रहा।
इंगà¥à¤²à¤¿à¤¶ चैनल पार करने वाले मिहिर सेन à¤à¤¾à¤°à¤¤ के ही नहीं बलà¥à¤•ि à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ के पहले तैराक बन अपना ही नहीं अपितॠपूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ का नाम गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ किया ।उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसके लिठपदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ व पदà¥à¤®à¤à¥‚षण जैसे पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ारों से नवाजा à¤à¥€ गया।
बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® समाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ और सती पà¥à¤°à¤¥à¤¾ जैसी पà¥à¤°à¤¥à¤¾ के अलावा à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जà¥à¤µà¤²à¤‚त मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर जन-जन तक à¤à¤• नवीन चेतना को जागृत करने में अहम à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ वाले राजा राममोहन राय का निधन 27 सितंबर 1833 को हो गया
27 सितंबर 1980 में संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° विशà¥à¤µ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ (UNWTO) ने विशà¥à¤µ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ दिवस की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ विशà¥à¤µ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को संसà¥à¤•ृतिक और सामाजिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जागरूकता पैदा करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से की।
विशेषतः महिलाओं के उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लिठकारà¥à¤¯ करने वाले समाज- सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• ईशà¥à¤µà¤° चंदà¥à¤° विदà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¾à¤—र का जनà¥à¤® दिवस
अमृता अपने सपने लिखतीं थीं अपनी डायरी में।
उनींदे सपने, गहरी नींद के सपने, जागती आंखों के सपने…
ये कà¥à¤› सपने जो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 2001 से ले कर 2003 के बीच देखे और लिखे। कà¥à¤› सपनों पर कविता या नज़à¥à¤® लिखी, कà¥à¤› को बस उड़ने के लिठछोड़ दिया।
उनकी आतà¥à¤®à¤¾ की चेतना तक पहà¥à¤‚चाते हैं ये सपने
सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं, मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ फिर मिलूà¤à¤—ी कावà¥à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹ में दरà¥à¥› अमृता के कà¥à¤› सपने, गाथा à¤à¤ªà¥à¤ª पे, पलà¥à¤²à¤µà¥€ गरà¥à¤— की आवाज़ में
मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ फिर मिलूà¤à¤—ी इस कविता से शà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¤ होती है इस शीरà¥à¤·à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤® की कविताओं की।
मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ फिर मिलूà¤à¤—ी आखिरी कविता थी जो अमृता ने लिखी थी। पà¥à¤°à¥‡à¤® से लबरेज़ ये कविता, आंखे नम कर देती है। बेइनà¥à¤¤à¤¹à¤¾à¤‚ पà¥à¤°à¥‡à¤® में डूबी अमृता, बेहद बीमार अमृता पूरे पà¥à¤°à¥‡à¤® और समरà¥à¤ªà¤£ से अपने आप को तैयार कर लेती हैं अपनी आने वाली अनà¥à¤¤ यातà¥à¤°à¤¾ के लिà¤à¥¤
पà¥à¤°à¥‡à¤® शीरà¥à¤·à¤• के अंतरà¥à¤—त जी कविताà¤à¤ हैं, उनमें न सिरà¥à¤« उनका अपने साथी के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤® उमड़ता है, बलà¥à¤•ि, उंस ईशà¥à¤µà¤° के लिठà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ होता है जिसके आगे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समरà¥à¤ªà¤£ कर दिया है।
सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं शीरà¥à¤·à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤® के अंतरà¥à¤—त, आतà¥à¤®à¤¾ की परमातà¥à¤®à¤¾ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤® में डूबी मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ फिर मिलूà¤à¤—ी की कà¥à¤› कविताà¤à¤ गाथा à¤à¤ªà¥à¤ª पर, पलà¥à¤²à¤µà¥€ गरà¥à¤— की आवाज़ में
मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ फिर मिलूà¤à¤—ी कावà¥à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹ की कà¥à¤› कविताओं को शीरà¥à¤·à¤• दिया है मà¥à¤²à¤¾à¥˜à¤¾à¤¤à¥¤
अमृता बीमार थीं, बहà¥à¤¤ बीमार। अपने नगà¥à¤®à¥‹à¤‚, अपनी कविताओं के माधà¥à¤¯à¤® से वो कà¤à¥€ अपनी माठको याद करतीं, कà¤à¥€ सà¤à¥€ बंधनों के परे जा, कृषà¥à¤£ से, गणेश से, साईं से मिलतीं, कà¤à¥€ बस अपने पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ से मà¥à¤²à¤¾à¥˜à¤¾à¤¤ के लिठकिसी à¤à¥€ सीमा को पार करने की बात करतीं।
सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं शीरà¥à¤·à¤• मà¥à¤²à¤¾à¥˜à¤¾à¤¤ के अंतरà¥à¤—त समाहित मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ फिर मिलूà¤à¤—ी की कà¥à¤› कविताà¤à¤ गाथा à¤à¤ªà¥à¤ª पे, पलà¥à¤²à¤µà¥€ गरà¥à¤— की आवाज़ में
अमृता बहà¥à¤°à¥à¤®à¥à¤–ी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ की धनी रहीं। उनके अंदर जितना अनà¥à¤°à¤¾à¤— रहा,उतना ही दरà¥à¤¦ छà¥à¤ªà¤¾ रहा। बंटवारे का दरà¥à¤¦ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ तकलीफ देता था। जीवन के अंतिम पड़ाव पर थीं अमृता जब पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से तौसीफ़ उनसे मिलने आईं। मिलने की खà¥à¤¶à¥€ से अधिक, उनके उस वक़à¥à¤¤ लिखे गदà¥à¤¯ कावà¥à¤¯ में बचपन की यादों का दरà¥à¤¦, अपने साथियों से, बंटवारे के कारण या मृतà¥à¤¯à¥ के कारण बिछड़ने का दरà¥à¤¦, समाज के बदलते सà¥à¤µà¤°à¥‚प का दरà¥à¤¦ बड़ी सरलता से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ हà¥à¤† और दिल की गहराइयों तक उतर गया।
सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं दरà¥à¤¦ शीरà¥à¤·à¤• के अंतरà¥à¤—त, अमृता के इस दरà¥à¤¦ को उकेरती मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ फिर मिलूà¤à¤—ी कावà¥à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹ की कà¥à¤› कविताà¤à¤ गाथा à¤à¤ªà¥à¤ª पे,पलà¥à¤²à¤µà¥€ गरà¥à¤— की आवाज़ में
अनकही – आरà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ – शेफ़ाली कपूर
कà¥à¤› बातें अनकही रह जाती है। सिरà¥à¤«à¤¼ मन ही उन बातों को समà¤à¤¤à¤¾ है और दिल तक दसà¥à¤¤à¤• देता है। समय कब उन बातों को छोड़ आगे बढ़ता चला जाता है और रह जाता है कà¥à¤› सिमटे हà¥à¤¯à¥‡ लमà¥à¤¹à¥‡à¥¤ कà¥à¤› पà¥à¤°à¥‡à¤® कहानियां बस यहीं तक सिमट कर रह जाती है। कहानी के नायक और नायिका à¤à¤• दूसरे से पà¥à¤°à¥‡à¤® करते हैं पर कà¤à¥€ अपने पà¥à¤¯à¤¾à¤° का इज़हार à¤à¤• -दूसरे के सामने नहीं कर पाये ।आज करीब 30 साल के बाद इन दोनों की मà¥à¤²à¤¾à¤•ात फिर से हो रही है। कà¥à¤¯à¤¾ जो अनकही बातें थी इन दोनो के बीच वह इस मà¥à¤²à¤¾à¤•ात में सामने आ पाà¤à¤—ी ?जानिठआरà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखी गई कहानी अनकही में।
अनकही – आरà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ – शेफ़ाली कपूर
कà¥à¤› बातें अनकही रह जाती है। सिरà¥à¤«à¤¼ मन ही उन बातों को समà¤à¤¤à¤¾ है और दिल तक दसà¥à¤¤à¤• देता है। समय कब उन बातों को छोड़ आगे बढ़ता चला जाता है और रह जाता है कà¥à¤› सिमटे हà¥à¤¯à¥‡ लमà¥à¤¹à¥‡à¥¤ कà¥à¤› पà¥à¤°à¥‡à¤® कहानियां बस यहीं तक सिमट कर रह जाती है। कहानी के नायक और नायिका à¤à¤• दूसरे से पà¥à¤°à¥‡à¤® करते हैं पर कà¤à¥€ अपने पà¥à¤¯à¤¾à¤° का इज़हार à¤à¤• -दूसरे के सामने नहीं कर पाये ।आज करीब 30 साल के बाद इन दोनों की मà¥à¤²à¤¾à¤•ात फिर से हो रही है। कà¥à¤¯à¤¾ जो अनकही बातें थी इन दोनो के बीच वह इस मà¥à¤²à¤¾à¤•ात में सामने आ पाà¤à¤—ी ?जानिठआरà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखी गई कहानी अनकही में।
आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤® – आरà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ – शेफ़ाली कपूर
रिया और आदितà¥à¤¯ à¤à¤• ही कॉलेज में पढ़ते हैं ।आदितà¥à¤¯ सिविल सरà¥à¤µà¤¿à¤¸à¥‡à¤œ की तैयारी à¤à¥€ कर रहा है ।आदितà¥à¤¯, रिया के सामने अपने पà¥à¤¯à¤¾à¤° का इज़हार करता है और रिया को जीवनसंगिनी बनाना चाहता है। रिया के मन में à¤à¥€ आदितà¥à¤¯ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤® à¤à¤¾à¤µ है, किंतॠरिया के पिता इस रिशà¥à¤¤à¥‡ को मंजूरी देने के लिठआदितà¥à¤¯ के सामने à¤à¤• शरà¥à¤¤ रखते हैं । कà¥à¤¯à¤¾ है वह शरà¥à¤¤? कà¥à¤¯à¤¾ आदितà¥à¤¯ उस शरà¥à¤¤ को पूरा कर पाà¤à¤—ा? कà¥à¤¯à¤¾ आदितà¥à¤¯ और रिया शादी के बंधन में बंध पाà¤à¤‚गे ?कà¥à¤¯à¤¾ आदितà¥à¤¯ के मन में रिया के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वही पà¥à¤°à¥‡à¤® रह पाà¤à¤—ा? पूरी कहानी जानने के लिठसà¥à¤¨à¥‡à¤‚ आरà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखी गई कहानी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥¤
आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤® – आरà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ – शेफ़ाली कपूर
रिया और आदितà¥à¤¯ à¤à¤• ही कॉलेज में पढ़ते हैं ।आदितà¥à¤¯ सिविल सरà¥à¤µà¤¿à¤¸à¥‡à¤œ की तैयारी à¤à¥€ कर रहा है ।आदितà¥à¤¯, रिया के सामने अपने पà¥à¤¯à¤¾à¤° का इज़हार करता है और रिया को जीवनसंगिनी बनाना चाहता है। रिया के मन में à¤à¥€ आदितà¥à¤¯ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤® à¤à¤¾à¤µ है, किंतॠरिया के पिता इस रिशà¥à¤¤à¥‡ को मंजूरी देने के लिठआदितà¥à¤¯ के सामने à¤à¤• शरà¥à¤¤ रखते हैं । कà¥à¤¯à¤¾ है वह शरà¥à¤¤? कà¥à¤¯à¤¾ आदितà¥à¤¯ उस शरà¥à¤¤ को पूरा कर पाà¤à¤—ा? कà¥à¤¯à¤¾ आदितà¥à¤¯ और रिया शादी के बंधन में बंध पाà¤à¤‚गे ?कà¥à¤¯à¤¾ आदितà¥à¤¯ के मन में रिया के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वही पà¥à¤°à¥‡à¤® रह पाà¤à¤—ा? पूरी कहानी जानने के लिठसà¥à¤¨à¥‡à¤‚ आरà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखी गई कहानी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥¤
आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤® – आरà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ – शेफ़ाली कपूर
रिया और आदितà¥à¤¯ à¤à¤• ही कॉलेज में पढ़ते हैं ।आदितà¥à¤¯ सिविल सरà¥à¤µà¤¿à¤¸à¥‡à¤œ की तैयारी à¤à¥€ कर रहा है ।आदितà¥à¤¯, रिया के सामने अपने पà¥à¤¯à¤¾à¤° का इज़हार करता है और रिया को जीवनसंगिनी बनाना चाहता है। रिया के मन में à¤à¥€ आदितà¥à¤¯ के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤® à¤à¤¾à¤µ है, किंतॠरिया के पिता इस रिशà¥à¤¤à¥‡ को मंजूरी देने के लिठआदितà¥à¤¯ के सामने à¤à¤• शरà¥à¤¤ रखते हैं । कà¥à¤¯à¤¾ है वह शरà¥à¤¤? कà¥à¤¯à¤¾ आदितà¥à¤¯ उस शरà¥à¤¤ को पूरा कर पाà¤à¤—ा? कà¥à¤¯à¤¾ आदितà¥à¤¯ और रिया शादी के बंधन में बंध पाà¤à¤‚गे ?कà¥à¤¯à¤¾ आदितà¥à¤¯ के मन में रिया के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वही पà¥à¤°à¥‡à¤® रह पाà¤à¤—ा? पूरी कहानी जानने के लिठसà¥à¤¨à¥‡à¤‚ आरà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखी गई कहानी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥¤