Smajik Stories
Chunavi Ran
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Chunavi Ran
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चुनावी-रण – Alka saini (अल्का सैनी ) – Shivani Anand
आयशा वैसे तो 5 वर्ष से राजनैतिक क्षेत्र से जुड़ी हुयी थी किन्तु चुनावी रण में आने वाली सि्थतियों से वो समझ गयी चुनाव लड़ना कोई आसान काम नहीं।आयशा को यह एहसास किस प्रकार हुआ जानते चुनावी रण में शिवानी आंनद की आवाज़ में…
Mithyaabhimaan
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Mithyaabhimaan
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मिथ्याभिमान – Alka Saini (अल्का सैनी ) – Shivani Anand
सभी अनामिका की योग्यता से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते। किंतु उसका पति जयंत उसकी योग्यता की उड़ान को क्यों पिंजरे में बंद रखना चाहता है ?अनामिका क्यों ऐसा महसूस कर रही है कि जैसे उसके पति ने उसकी उड़ान को रोकने के लिए उसके पंख काट दिए हैं और फिर से वह आसमान से ज़मीन पर आ गिरी हो । जानिए इसके पीछे की कहानी अलका सैनी के द्वारा लिखी गई कहानी मिथ्याभिमान शिवानी आनंद की आवाज़ में..
Gainda part 4 (गैंडा – भाग- 4)
Gainda part 4 (गैंडा – भाग- 4)
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Gainda part 4 (गैंडा – भाग- 4)
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गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
Gainda part 3 (गैंडा- भाग- 3)
Gainda part 3 (गैंडा- भाग- 3)
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Gainda part 3 (गैंडा- भाग- 3)
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गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
Gainda part 2 (गैंडा – भाग- 2)
Gainda part 2 (गैंडा – भाग- 2)
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गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
Gainda Part-1 (गैंडा भाग- 1)
Gainda Part-1 (गैंडा भाग- 1)
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गैंडा- मोटी चमड़ी का , थोड़ा कुरूप सा दिखने वाला प्राणी। राज मेहरा, सुपर्णा की बचपन की सहेली थी और स्कूल कॉलेज की हर प्रतियोगिता में पूरे समय बराबर रहकर अन्त में बाज़ी मार ले जाती थी । जब काफ़ी समय बाद दोनो सहेलियाँ मिली तो अपने सुदर्शन फौजी पति के सामने राज के मोटे काले पति को देखकर सुपर्णा को ना जाने क्यों बहुत सन्तोष हुआ था। पर जब रूपसी वाचाल राज , सुपर्णा के घर रहने आयी और सहेली के पति को ही पुरस्कार की तरह जीत लिया, तब सुपर्णा ये विश्वासघात सहन ना कर पायीं. फिर सुपर्णा ने उस आघात को कैसे झेला? क्या एक पत्नी , सहेली के सामने एक बार फिर हार गयी या उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसके बारे में राज ने कल्पना भी ना करी थी . जानिए शिवानी की इस कहानी “गैंडा “ में … ((सुनिए शिवानी जी की लेखनी का जादू इस कहानी गैंडा में , जहाँ एक सहेली और पत्नी के मनोभवों को बड़ी सुंदरता और सजीवता से प्रस्तुत किया गया है )
Do sakhiya part-4 (दो सखिया पार्ट -4)
Do sakhiya part-4 (दो सखिया पार्ट -4)
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Do sakhiya part-4 (दो सखिया पार्ट -4)
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वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
Do sakhiya part-3 (दो सखिया पार्ट -3)
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Do sakhiya part-3 (दो सखिया पार्ट -3)
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वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
Do sakhiya part-2 (दो सखिया पार्ट -2)
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वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
Do sakhiya part-1 (दो सखिया पार्ट -1)
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Do sakhiya part-1 (दो सखिया पार्ट -1)
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वृद्धाश्रम में रहने वाला हर इंसान अपने आप ना जाने कितनी कहानियाँ समेटे होता है। स्वभाव में विपरीत सख़ुबाई और आनंदी की मित्रता होती है एक वृद्धाश्रम , आश्रय में. वृद्धाश्रम के निवासियों के जीवन की कहानी और उनके वहाँ पहुँचने के सफ़र का बड़ा सजीव चित्
Hum Samajik Log (हम सामाजिक लोग)
Hum Samajik Log (हम सामाजिक लोग)
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“यह समाज है मेरी जान… वह समाज जिसके आगे राम विवश नजर आए … जिसने ईशा को सलीब दी… जिसने बुद्ध को विक्षिप्त होने का तमगा दिया …” समाज के इस रूप को जोड़ती कहानी जिसमें एक वृद्ध व्यक्ति और उसकी विधवा बहू के बीच के स्नेह संबंध को bhi समाज गलत नजरों से देखता है……
Kaun taar se bini chadariya part-2 (कौन तार से बीनी चदरिया)-2
Kaun taar se bini chadariya part-2 (कौन तार से बीनी चदरिया)-2
Kaun taar se bini chadariya part-2 (कौन तार से बीनी चदरिया)-2
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Kaun taar se bini chadariya part-1 (कौन तार से बीनी चदरिया)-1
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Kaun taar se bini chadariya part-1 (कौन तार से बीनी चदरिया)-1
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Amritsar aa gaya ( अमृतसर आ गया है )
Amritsar aa gaya ( अमृतसर आ गया है )
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हिंदुस्तान पाकिस्तान बंटवारे के बाद जो कि अमृतसर जा रही है कुछ मुसाफिर जिसमें तीन पठान, सरदार ,बाबू बैठे हुए हैं एक बुढ़िया बैठी हुई है वजीराबाद स्टेशन में हलचल होने लगती है जैसे कहीं दंगा हुआ हूं पठान चढ़े हुए मुसाफिरों के साथ बदसलूकी करने लगता है बाकी यात्री में बैठे हुए हैं अमृतसर पहुंचती है पठानों से बदला लेने लगता है किस लिए ऐसा क्या कारण है इसके पीछे
Shah Ki Kanjri ( शाह की कंजरी)
Shah Ki Kanjri ( शाह की कंजरी)
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Shah Ki Kanjri ( शाह की कंजरी)
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वह एक दिन हीरा मंडी का रास्ता चौबारा छोड़ कर शाहर के सबसे बड़े होटल फ्लैटी में आ गयी थी। वही शहर था, पर सारा शहर जैसे रातों रात उसका नाम भूल गया हो, सबके मुंह से सुनायी देता था -शाह की कंजरी। गजब का गाती थी। कोई गाने वाली उसकी तरह मिर्जे की सद नहीं लगा सकती थी। इसलिये चाहे लोग उसका नाम भूल गये थे पर उसकी आवाज नहीं भूल सके| शाह की कंजरी के नाम से जाने वाली नीलम महफिलों में गाने बजाने एक युवती है शाहनी जी के बड़े बेटे की शादी में उसे बुलाया जाता है तब शाहनी नीलम के साथ किस प्रकार का बर्ताव करती है अमृता प्रीतम के द्वारा लिखी गई कहानी शाह की कंजरी में …
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अनामिका का विवाह अतुल से हुआ है लेकिन अतुल का व्यवहार अनामिका के प्रति कुछ रुखा सा है अनामिका को अचानक एक दिन अपने कॉलेज के दिनों के एक दोस्त समीर की याद आती है जिसका प्यार अनामिका के द्वारा ठुकराया जाता है आज अनामिका को ऐसा क्यों लग रहा है कि ईश्वर उससे उसी बात का अधूरा बदला ले रहे हैं क्या हुआ था अनामिका की जिंदगी में पूरी कहानी जानने के लिए के लिए सुनते हैं विकास श्रेय केवल जी की लिखी कहानी अधूरा बदला अमित तिवारी जी की आवाज
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Waapsi ( वापसी )
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गजाधर बाबू नौकरी के चलते छोटे शहर में रहते हैं जबकि उनका पूरा परिवार उनकी पत्नी उनके बच्चे सभी एक दूसरे बड़े शहर में अपने घर में रहते हैं गजाधर बाबू जी का जब रिटायरमेंट होता है तो वह अपने परिवार के साथ रहने के उद्देश्य से उनके पास जाते हैं किंतु क्या उनका वही पूरा परिवार उन्हें गृह स्वामी की तरीके से प्यार व सम्मान देता है क्या उन्हें परिवारिक खुशी प्राप्त हो पाती है उषा प्रियंवदा जी के द्वारा लिखी इस कहानी वापसी में सुनते हैं अमित तिवारी जी की आवाज में ..
Dear Papa (डियर पापा)
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एक भावपूर्ण खत एक पुत्र का अपने पिता के लिए इंसान कितना भी बड़ा क्यों ना हो जाए जो इसने हैं जो स्नेह उसे अपने माता-पिता से प्राप्त होता है दुनिया में किसी और से प्राप्त नहीं हो सकता इसी अहसास को प्रेरित करता हुआ यह पत्र जानने के लिए सुनते हैं आकांक्षा पारे द्वारा लिखी गई कहानी डियर पापा अमित तिवारी जी की आवाज में
Sikandar Ki Sapath ( सिकंदर की शपथ )
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Statement ( स्टेटमेंट)
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फुलवा मात्र मात्र 10 साल की मासूम बच्ची है |जिसके साथ मुखिया के पोते ने बलात्कार किया है| कहानी में फुलवा के अपराधी को सजा दिलाने की जद्दोजहद में उससे बार-बार उसे बार-बार उस बात का स्टेटमेंट लिया जाता है |मासूम फुलवा स्टेटमेंट और बलात्कार जैसी बातों से अनभिज्ञ है| स्टेटमेंट के नाम पर मासूम फुलवा के साथ साथ क्या हो रहा है ?दिल को झकझोर देने वाली रश्मि की कहानी स्टेटमेंट, सुनते हैं निधि मिश्रा के द्वारा
Akhbar Wala ( अख़बार वाला)
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जया एक हिंदुस्तानी महिला है उसके घर के पास किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.| किंतु उसे वहां का दृश्य मानवीय संवेदना से विहीन वहीं लगता है | किसी भी व्यक्ति के आंख में मृत व्यक्ति के लिए की अश्रु भी नहीं दिखाई दे रहा है| जया यह सब देख कर व्यथित हो रही है |क्या विदेशों में रहने वाले व्यक्ति मानवीय संवेदना से अपेक्षित है अपरिचित है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं सुदर्शन प्रियदर्शी द्वारा लिखी गई कहानी अखबार वाला निधि की आवाज में…
Safed Gud ( सफेद गुड़ )
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“नौं” साल और “चौदह” के दो सगे भाई हैं । स्वभाव से विपरीत। किंतु बड़ा भाई, छोटे भाई को उस समय की लघुता का एहसास दिलाता है जब छोटे भाई को अपनी सफलता पर घमंड होने लगता है । ये सब किस प्रकार होता है और क्या होता है? कहानी बड़े भाईसाहब मे जानेंगे?
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पत्नि के भाग्य से जुड पति का भाग्य प्रखर होता है। मीनू तू भाग्यलक्ष्मी है मीनू जब मात्र 19 वर्ष की थी तब अपने से उम्र में काफी बड़े साइंटिस्ट विलास जी से उसका विवाह करा दिया गया था | शादी से पूर्व मीनू इस बेमेल विवाह से खुश नहीं थी | किंतु क्या हुआ विवाह के उपरांत मीनू के साथ? क्या वे उस घर की भाग्यलक्ष्मी बन पाई? पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा लिखी गई कहानी भाग्य लक्ष्मी ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
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“अपने परिवार पर लगी खुशियों के ग्रहण पर, अपने पति को अपने में समेटता हुआ देखने की पीडा के बारे में, अपने बेटे के कालिख पुते वर्तमान और उसके अंधियारे भविष्य पर। सोचती हूँ, उन लोगों के बारे में जो सजायाफ्ता होकर भी राजनीति में उंची कुर्सियों पर बैठे हैं, क्योंकि उनके केस राजनीति में आने से पहले खारिज हो जाते हैंया माफ कर दिये जाते हैं लेकिन उन भूल से किये गये अपराधों के युवा अपराधियों का क्या जिन्हें अच्छे चरित्र और उच्च शिक्षा के बाद छोटी सी भी सजा मिलने के बाद कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलती। सोचती हूँ, जेल के घुटन भरे माहौल में पल पल काटते अपने बाईस साल के युवा बेटे के बारे में उसके पिता की खामोश पीडा के बारे में। “ इस निराशा के बीच वो उम्मीद की किरण कहाँ से ढूँढ कर लाती है- सुनिए कहनी “नयी सम्भावनाओ का आकाश मे”
Shashwati ( शाश्वती )
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कहानी का नायक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है |उसकी एक शिष्या शाश्वती उसी के मार्गदर्शन में हिंदी साहित्य में पी.एच.डी कर रही है| शाश्वती का अपने गुरु के प्रति एक अलग प्रकार का आत्मीय रिश्ता जुड़ जाता है जिसके कारण प्रोफेसर साहब की जिंदगी में उथल-पुथल हो जाती है | गुरु और शिष्या के संबंधों के बीच क्या होगा? जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ जी द्वारा लिखी गई कहानी शाश्वती ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज..
Khed Ka Ek Resha ( खेद का एक रेशा)
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शुरु से तो वह जानती थी कि यह जो छोटा सा अनाकर्षक मगर भला सा चेहरा है, वह सच नहीं एक घुटा हुआ साईकियाट्रिस्ट है, उसे पता है, विवाहित महिलाओं की ग्रंथियां, मन की जरूरतें।कहानी की नायिका 45 वर्ष की शादीशुदा महिला है |उसकी दोस्ती एक पुरुष साईकियाट्रिस्ट से हो जाती है | किंतु अब नायिका को को महसूस हो रहा है कहीं ना कहीं मन में एक खेद का रेशा अटका पड़ा है, नायिका ऐसा क्यों सोच रही है क्या है इसके पीछे की कहानी| जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ के द्वारा लिखी गई कहानी खेद का रेशा अटका, पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
Let Us Grow Together ( लेट अस ग्रो टुगेदर)
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नयी नयी शादी के बाद कैसे हम हर वक़्त साथ रहना चाहते है। लगता है एक पल भी दूर रहने का मतलब है प्यार कम हो रहा है। पर कैसे वक़्त के साथ ये प्यारा सा रिश्ता भी परिपक्व होता है। वैवाहिक जीवन के पलो को बेहद खूबसूरती और सजीवता से प्रस्तुत करती है ये कहानी “ लेट उस ग्रो टुगेदर”
Kanya hee dahej ( कन्या ही दहेज है )
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कहानी में लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा एक प्रश्न उठाया है क्या दहेज की समस्या केवल लड़के वाले खड़ी करते हैं? कहानी सुनकर इस बात की सार्थकता जानते हैं पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
Ek Nadi Tithki si ( एक नदी ठिठकी सी )
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जबसे निशीथ साथ चलते- चलते अचानक अजाने मोड पर मुड ग़या था तो ठिठक कर उस चौराहे पर उसके आस-पास फुरसत ही बाकि रह गई थी और एक अंधेरा खाली कोना। बस एक सप्ताह और वह उबर आई थी नई जीजिविषा के साथ कहानी केतकी की है एक ऐसी लड़की जिसने अपने प्रेम निशीथ के अपने जीवन से चले जाने के बावजूद ,अपने आपको रुकने नहीं दिया |क्या है केतकी की जीवन की पूरी कहानी? जानने के लिए सुनते हैं मनीषा कुलश्रेष्ठ की लिखी कहानी एक नदी ठिठकी सी, पूजा श्रीवास्तव की आवाज में
Antim Padav (अंतिम पड़ाव)
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70 वर्ष की सोना घोष का जीवन कभी वैभवशाली रहा है लेकिन अपने पति की मृत्यु के बाद उसका जीवन भजनाश्रम में गुजर रहा है दीपांकर को उसने अपने बेटे की तरीके से पाला है दीपांकर आज उससे मिलने तो आया है पर क्या दीपांकर सोना घोष के अंतिम पड़ाव में उसे अपने साथ रखता है हरिवंश राय बच्चन जी की भावुक कर देने वाली कहानी अंतिम पड़ाव पूजा श्रीवास्तव जी के द्वारा
Badalte Rang (बदलते रंग)
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एक रिश्ता किस तरीके से रंग बदलता है| अपर्णा एक मेधावी छात्रा है और बाद में उसी संस्थान में कार्य करने लग जाती है जहां उसके सर दिनेश जी है| दिनेश उसके सामने प्रेम का प्रस्ताव रखता है किंतु दिनेश किसी और से विवाह करता है |क्या हुआ था दिनेश और अपर्णा के बीच प्रेम संबंधों का |पूरी कहानी जाने के लिए सुनते हैं विनीता शुक्ला की द्वारा लिखी गई कहानी बदलते रंग, पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
Ek Thopa Hua Sangram (एक थोपा हुआ संग्राम)
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योगिता और ऋषभ की नई- नई शादी हुई है| ऋषभ अपने दोस्तों के बीच योगिता को दोस्तों के पत्नियों के समक्ष एक अनजानी सी प्रतिस्पर्धा में खड़ा कर देता है| योगिता को जबरदस्ती के इस थोपे हुए होते हुए संग्राम के ऊपर कैसे विजय हासिल होती है जानते हैं विनीता शुक्ला के द्वारा लिखी गई कहानी एक थोपा हुआ संग्राम ,पूजा श्रीवास्तव की आवाज में..
Sannata (सन्नाटा)
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उत्तरा 50 साल की एक महिला है जिसका विवाह गिरीश से हुआ है |उसकी दो बेटियां हैं निशि और आशु |उत्तरा के जीवन में कहीं ना कहीं एक सन्नाटा पसरा हुआ है |उत्तरा को ऐसा क्यों महसूस हो रहा है| क्या वह अपने अंदर चल रहे इन बातों को को समाज को दिखा पाती है पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं मालती जोशी की लिखी कहानी सन्नाटा, पूजा श्रीवास्तव की आवाज में…
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Narrator
“ अपनी भावी बहू को ले कर मेरे भी कुछ सपने थे, अरमान थे और बेटा अपनी पसंद से शादी करे मुझे उसमें भी कोई एतराज़ नहीं था। मगर जब ध्रुव ने मीतू यानी मैत्रीय को मेरे सामने ला कर खड़ा किया तो उस दुबली पतली , कटे बालों और ज़ींस टी शर्ट वाली लड़की में मैं अपनी बहू देख ही नहीं पा रही थी । शादी के बाद उसने इस घर को बड़ी सहजता से अपना लिया था पर मैं ना जाने क्यों उसको अपना नहीं पा रही थी । ना जाने क्यों उसकी हर छोटी बात भी मुझे नागवार हो जाती थी .” क्या मीतू अपनी सासू माँ को अपने स्नेहबँध में बांध सकी … सुनिए मालती जोशी जी की कहानी स्नेहबँध मे
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