10 नवंबर 1908 को कनाई लाल दत्त को मात्र 20 बरस की आयु में फांसी हुई। खुदीराम बोस के बाद फांसी के फंदे पर झूलने वाले वह दूसरे क्रांतिकारी थी।
6 नवंबर 1913 को दमनकारी कानून के खिलाफ द ग्रेट मार्च निकाला। 2,000 से ज्यादा लोगों ने गांधीजी के नेतृत्व में नटाल तक मार्च किया। गांधीजी गिरफ्तार हुए। जमानत पर छूटे तो फिर मार्च में शामिल हो गए।
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में महज़ 21 वर्ष की आयु में वीर योद्धा सेकंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल नेअपनी मातृभूमि के लिए शहीद हो गए ।दुश्मन के 10 टैंक्स में 5 टैंक्स अकेले उन्होंने नष्ट किया ।उन्हें ‘बसंतर के युद्ध’ का युद्धा के नाम से भी जाना जाता है। भारत सरकार ने सर्वोच्च सैन्य अलंकरण परमवीर चक्र से सम्मानित किया।
4 अक्टूबर 1977 जब अटल बिहारी वाजपेई विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभाल रहे थे, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर हिंदी भाषा का परचम लहराया ।भाषण के बाद UNGA का सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा ।
20 नवंबर एक महत्वपूर्ण तारीख है क्योंकि इसी दिन 1959 में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) महासभा ने बाल अधिकारों को अपनाने की घोषणा की थी| विश्व बाल दिवस को पहली बार 1954 में सार्वभौमिक बाल दिवस के रूप में मनाया गया था और प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को मनाया जाता है|
शांति घोष का जन्म 22 नवंबर, 1916 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था| उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ घोष था, जो प्रोफेसर और राष्ट्रवादी थे इसलिए शांति घोष पर बचपन से ही राष्ट्रभक्ति का प्रभाव था| वह बचपन से ही क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ा करती थीं इसलिए उनका रुझान स्वतंत्रता आंदोलन की तरफ बढ़ने लगा|
30 सितंबर 1993 का दिन महाराष्ट्र के लातूर के लिए काला दिन था। 6.4 तीव्रता से आए भूकंप ने लातूर को तहस-नहस कर दिया ।इस भयानक त्रासदी में करीब 10000 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवायी और हजारों की संख्या में लोग घायल हुए कई विदेशी एजेंसियां और पूरे विश्व में भारत को इस त्रासदी से निपटने में अपना सहयोग दिया।
द्रौपदी के सत्य, तेज और सतीत्व के आगे निस्तेज हो मदान्ध दुर्योधन, दु:शासन, आदि को द्रौपदी पुनः ललकारती हुई कहती है तुम्हारे भरसक प्रयास करने के बावजूद तुम मेरा बाल बांका भी ना कर सके क्योंकि तुम सब अधर्म अधर्म और छल कर रहे हो और तुम्हारे द्वारा किए गए अधर्म के लिए तुम्हें भविष्य में कभी क्षमा नहीं मिलेगी|
कार्तिक और केशव दोनों मित्र हैं कार्तिक जब आईआईटी की परीक्षा में टॉप करता है तो उसके अंदर कहीं ना कहीं अहंकार आ जाता है और इसी कारण वह केशव से कुछ ऐसा कह देता है जिससे केशव का आत्मविश्वास और भी कम हो जाता है और वह फेल हो जाता है लेकिन हमेशा जीतने वाले को क्या कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता और हमेशा हारने वाला क्या कभी जिंदगी में सफल नहीं हो सकता इस बात को दर्शाती है कहानी हार में भी जी जीत है
हजूर नौकरी करता हूं, जान दे कर सरकार का नमक हलाल कर सकता हूँ पर ईमान नहीं बेच सकता,सरकार मालिक है। मैंने गद्दारी नहीं की, है………. नहीं की, लेकिन खुदा के रूबरू दरोगहलफी करके आकबत नहीं बिगाड़ सकता। यहाँ आप मालिक है, वहाँ वो मालिक है…। ऐसा कुछ कहानी का नायक उबेद कह रहा है | जो बचपन से बस यही सोचता था की मेहनत और सब्र का फल एक दिन मिलेगा ,खुदा सब कुछ देखता है किंतु क्या वाकई उसकी यह सोच सही साबित हुई? क्या वह अपने जीवन की कशमकश में कभी ऐसे मुकाम पर पहुंचा ,जहां उसे वाकई खुदा की मदद मिली हो| पूरी कहानी जानने के लिए सुनते हैं यशपाल जी के द्वारा लिखी गई कहानी खुदा की मदद, नयनी दीक्षित की आवाज में…
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